Showing posts with label Father. Show all posts
Showing posts with label Father. Show all posts

Wednesday 23 May 2018

शादी के बाद के भी बाद

"शादी के बाद तुम बदल गए" ये बात तो सुन ही चुके होंगे आप अगर आपकी शादी को अच्छा खासा समय(१-२ साल) हो गया है तो। अब बात करते है शादी के बाद के भी बाद के बदलाव की। 

बच्चा, जी हाँ बच्चा होने के बाद ज़िन्दगी फिर एक अँधा मोड़ लेती है और आपकी दिशा और दशा पर कुछ प्रभाव डालती है। 

 फेसबुक पर in relationship, engaged with, married with, और ढेरो चेक-इन स्टेटस के बाद एक और माइलस्टोन आप अचीव करते है , blessed with baby girl /boy वाला माइलस्टोन। फेसबुक पर married with और honeymoon pictures  के कुछ साल बाद तक भी blessed with  वाला माइलस्टोन प्राप्त न करो तो हमारे रिश्तेदारों से ज्यादा फेसबुक परेशान हो जाता है की यार अभी तक कुछ हुआ क्यों नहीं। 

तो अगर आपसे किसी परीक्षा में प्रश्न पूछा जाये की बच्चा होने के बाद जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों पर प्रकाश डालिये तो उत्तर इस प्रकार लिखियेगा। 

बच्चा होने के बाद जीवन में निम्नलिखित बदलाव महसूस किये जाते है। 

१.  "बेबी" शब्द का प्रयोग अब कन्फ्यूजन पैदा करने लगता है की किसके लिए करे इसलिए इस सम्बोधन को अलविदा करना पड़ता है। 

२. अब ऑफिस से घर आते वक़्त लाने वाले सामान की लिस्ट में बहुत बड़ा बदलाव आ जाता है। शादी से पहले तो सीधा घर भी नहीं पहुंचते थे , शादी के बाद जल्दी घर पहुंचना पड़ा वो भी सब्जी भाजी लेके। किन्तु बच्चा होने के बाद तो रॉकेट की रफ़्तार से घर पहुंचना पड़ता है वो भी सब्जी भाजी फ़ल डायपर दवाई लेके।

३.  कुछ साल पहले पूछे गए सवाल "रि -वाइटल जैसी फालतू दवाई कौन लेता है" का जवाब मिल जाता है जब दिनभर ऑफिस में काम करने के बाद रात रात भर सिर्फ इसलिए जागना पड़ता है की हम बच्चे की माँ को जता सके की तुम अकेली नहीं परेशान हो।  

४. कुछ समय के लिए आपकी डिक्शनरी में से कुछ शब्दों को पूरी तरह मिटा दिया जाता है जैसे फिल्मे, टीवी सीरीज, स्पोर्ट्स मैच, नाईट आउट , पार्टी, आउटिंग, रोमांटिक डिनर (विथ वाइफ) वगैरह। 

५. एक बार बच्चा सो जाये ( चाहे दिन हो या रात)  फिर तो घर आर्मी ऑपरेशन की फील्ड बन जाता है , एक एक कदम फूंक फूंक के रखना पड़ता है। ऐसे में घर में बिखरे पड़े बच्चे के खिलौने लैंड माइन का काम कर सकते है। गलती से भी किसी चूं चूं करने वाले खिलौने पर पाँव पद गया तो धमाका हो सकता है। इसलिए एक बार बच्चा सो जाये तो घुसर फुसर करके ही काम चलाना चाहिए।

६. यही नहीं अगर बच्चा आपकी गोदी में सो गया तो ज़ाहिर सी बात है की उसको जैसे ही गोदी से निचे सुलाने जाओगे वो फिर उठ जायेगा। ऐसे में जब आप सफलता पूर्वक अपने बच्चे को गोदी से उतार के बिस्तर में सुला सको वो भी बगैर उसकी नींद ख़राब किये तो कसम से ऐसी राहत की साँस मिलती है जैसे हमने अपने हाथो से कोई बम डिफ्यूज़ किया हो।

७. पहले कहाँ आप इंटलेक्चुअल बनने की फ़िराक़ में quora.com, TedX.com, न्यूज़ पोर्टल्स इत्यादि खंगाला करते थे अब आपकी ब्राउज़िंग हैबिट्स के आयाम बदल जाते है। ले देके babycenter.com या दूसरी पेरेंटिंग साइट्स से आगे बढ़ नहीं पाते।

८. अच्छा, पहले के ज़माने में किन्नर लोगो को अपने आप भनक लग जाती थी की आपके यहाँ बच्चा हुआ है और वो आपके घर ताली बजाते हुए शगुन लेने पहुंच जाते थे। लेकिन आजकल वही काम ऑनलाइन शॉपिंग साइट्स ने शुरू कर दिया है। गलती से आप अगर कोई बेबी प्रोडक्ट देख लो तो ब्राउज़र नाम का चमचा सारे शॉपिंग साइट्स को खबर भिजवा देता है की आपके यहाँ बच्चा हुआ है। बस फिर क्या, आप फेसबुक चलाओ, या ट्विटर, कोई गेम खेलो या कोई मेल खोलो । हर जगह आपको ये साइट्स ताली बजाती हुई मिलेगी  की हमारे यहाँ से ये लेलो वो लेलो। आपके इनबॉक्स तक में राय मशविरे पहुंचने लगेंगे। 

९. सबसे बड़ा बदलाव तो आता है आपके और आपकी बीवी के बिच के वार्तालाप का। वो वाले "बेबी टॉक्स" असली वाले बेबी टॉक्स में बदल जाते है। 

10. अब तो फ़ोन की गैलरी में भी ये बेबी उस बेबी की जगह लेने लगता है।  

११. एक और बात, आपके जीवन के इतने सालो में जो न हुआ वो होने लगता है।  आपकी अब तक की उम्र में कितनी बार ऐसा हुआ है की कोई खूबसूरत सी बाला या बालाओ का झुण्ड अनायास ही आपकी तरफ मुस्कुराता हुआ लपक पड़े और बोले aweeeee.....shoo cute........ बताओ कितनी बार हुआ ? किन्तु आपका ये नन्हा फरिश्ता आपको इस वाली ख़ुशी का भी वरदान देदेता है आप जब भी अपने कॉलोनी, मोहल्ले, मॉल या बाजार में इसको लेके निकलो। 

थोड़ा गंभीर होकर  बात करे तो ईश्वर के इस वरदान के बाद जीवन में वाकई एक अभूतपूर्व परिवर्तन की अनुभूति होती है, मुझे तो शायद ईश्वर ने ज्यादा काबिल समझा और एक बेटी का वरदान दिया। मैंने अब तक शायद किसी बात से इतना गौरवान्वित महसूस नहीं किया जितना एक बेटी का बाप बन के किया।  १० महीने की हो चुकी है और कुछ ही दिनों में १ साल की हो जाएगी। उसके साथ ये एक साल कब और कैसे निकल गया पता ही नहीं पड़ा। 

Introducing my daughter my heartbeat Prisha Dubey 








Sunday 21 June 2015

पिता

 पिता


 

हमारी पहचान के जनक है वो। 
हमारे अस्तित्व के घटक है वो।

स्वयं के कंठ को सुखा रखके,
हमारी हर तृष्णा को शांत किया

स्वयं भूख की ज्वाला में धधक कर ,
हमें भूख की परिभाषा से भी वंचित किया। 

हमारी असीमित इच्छाओ की पूर्ति के लिए ,
स्वयं की हर इच्छा को रौंदा है जिन्होंने 
ऐसे त्यागी उपासक है वो। 

हमारा जीवन परिणाम के जिनकी कठिन साधना का 
ऐसे  योगी, साधक हमारे पिता है वो। 

संसार के सारे पिताओ को प्रणाम !!

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...