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Thursday 4 August 2016

दिल्ली की सैर



भारत में लोग-बाग अपने फेवरेट सितारों से मिलने बम्बई जाते है, एक झलक पाने को घंटो हजारो की भीड़ में खड़े रहते है। कुछ बावले लोग तो चुपके से सितारों के घरो में घुस तक जाते है और आराम से घूम-घाम के सकुशल लौट भी आते है। अभी हाल ही में एक भाईसाब ने पुरे ९ घंटे अमिताभ बच्चन के घर में गुजारे वो भी बगैर किसी को भनक लगे।
जब मैंने ये ख़बर पढ़ी तो सोचा की क्यों न मैं भी अपने पसंदीदा मनोरंजक सितारों के दर्शन के लिए उनके घर में घुसपैठ करूँ ? बस यही सोच के मैंने प्लान बनाया दिल्ली सैर का। अजी हाँ मेरा मनोरंजन करने वाले सभी सितारे दिल्ली में ही रहते है।


तो भाईसाब हम पंहुचे दिल्ली और सबसे पहले घुसे अपने नंबर १ मनोरंजक सितारे के बैडरूम में। इस सुपरस्टार को लोग प्यार से पप्पू बुलाते है। ये एक बहुत बड़े खानदान के वारिस है। जैसे ही छुपते -छुपाते इनके घर में दाखिल हुए तो हमने देखा की कमरे के एक कोने में कुछ बुझी हुयी चिलम पड़ी थी, सेंटर टेबल पर कुछ क्रेडिट कार्ड्स और कोई सफ़ेद पाउडर बिखरा पड़ा था टीवी पर फुल वॉल्यूम में डोरीमोन का कार्टून चल रहा था, थोड़ा और नज़र को इधर उधर दौड़ाया तो पाया की ये जनाब अपने पुरे घर में फ़ोन लेकर दौड़ लगा रहे थे। थोड़ा और नज़दीक से जानने की कोशिश की तो हमने पाया की ये तो पोकेमोन-गो नामक मोबाइल गेम खेल रहे थे वो भी घर के अंदर क्योंकि मम्मी ने बाहर जाने से मना किया है। बड़ा अच्छा लगा इन्हें इतना नज़दीक से देखकर। जैसे बाल-गोपाल की कलाएं देखकर गोकुलवासियों का मन मोहित होता होगा बिलकुल वैसे ही हम बाबा को देखकर मोहित होते रहे।

वहाँ से निकल कर फिर हम घुसे ७-रेसकोर्स रोड वाले बंगले में, यकीन मानिये बड़ी आराम से घुस गए यहाँ भी। रात हो चुकी थी और इसी अँधेरे का फायदा उठा कर हम नमो जी के कमरे में घुस गए। ये चमकती सफ़ेद दाढ़ी क्या खूब चांदनी बिखेर रही थी। वो अपनी कुर्सी पर बैठकर कोई किताब बांच रहे थे , शीर्षक थोड़ी देर तक तो नहीं देख पाया अंग्रेजी में था किन्तु थोड़ी मशक्कत के बाद पता चल ही गया उनकी किताब का नाम -Gulliver's Travels था। उनके कमरे की दिवार पर दुनिया का नक्शा टंगा हुआ था और लगभग आधे नक़्शे पर हरे और लाल रंग के पिन घुसे हुए थे। शायद ये पिन इंगित कर रहे थे कि नक़्शे की ये जगहें जहाँ जहाँ पिन लगी थी सारी नमोजी की चरणधूलि पाके धन्य हो चुकी थी। किन्तु लाल और हरे का मतलब क्या हुआ भला? एक लाल पिन हमारे प्रिय पडौसी देश के सीने पर भी घुसी हुयी थी। ओह मतलब समझा हरी पिन मतलब जहाँ आमंत्रण पर पधारे थे और लाल पिन मतलब जहाँ जाके नमोजी ने कहा था "सरप्राईज़ ". . .
बस अब इतनी संवेदनशील जगह पर ज्यादा समय नहीं बिता सकता था तो चुपचाप मैं वहां से कूच कर गया।

अगला और अंतिम पड़ाव था भारत के सबसे ज्यादा चर्चित और चहेते CM का घर। प्यार से इनको भी कईं नाम दिए गए है परंतु इन्हें किसी परिचय की आवश्यकता नहीं है। पहले धरने-आंदोलनों से और फिर ट्विटर के माध्यम से ये कईं लोगो का मनोरंजन करते आ रहे है। रात हो चुकी थी मैं गलती से इनके बैडरूम में दाखिल हो गया था सो डर और शर्म के मारे इनके बेड के नीचे जाके घुस गया था। तभी भाईसाब और भाभी जी आये मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था की यहाँ से कैसे निकलूँ इसलिए चुपचाप वहीं इनके सोने का इंतजार करता रहा। अब आपको पता ही है कि किसी दंपत्ति के बैडरूम चुपके से उनकी बातें सुनना जुर्म है और उन बातो को फिर ज़माने को बताना तो घोर अपराध है। किन्तु लाख कोशिशो के बावज़ूद मैं खुद को रोक नहीं पाया, न सुनने से न ही सुनाने से। तो सुनिये :
मैडम : कितने दिन हो गए आपने रोमांस तो क्या रोमांटिक बातें भी नहीं करी मुझसे। कितने साल हो गए आप मुझे फिल्म दिखाने भी नहीं ले गए हर बार उस मुए मनीष को ले जाते हो। आखिर कब तक चलेगा ऐसा ?
भाई साहब खांसते हुए और मफलर को उतार के साइड में रखते हुए बोले : जानू मैं तुमसे कितना प्यार करता हूँ ये मुझे ट्वीट करके बताने की जरुरत नहीं। मैं तुम्हे डेट पे ले जाना चाहता हूँ, बच्चो को पिकनिक पे ले जाना चाहता हूँ, तुम्हे फिर से पहले जैसा रोमांस करना चाहता हूँ पर क्या करूँ ? मुझे मोदीजी ये सब करने ही नहीं देते।

इतने में मेरी आँख लग गयी और जब खुली तो खुद को अपने कमरे में स्वयं के बिस्तर पर पाया। धत्त तेरे की ये दिल्ली की मनमोहक सैर तो एक स्वप्नदोष निकल गया मेरा मतलब दोषपूर्ण स्वप्न निकल गया।

 नोट: चित्र गूगल इमेज सर्च के सौजन्य से

Thursday 26 February 2015

पप्पू गायब हो गया

बधाई हो, कांग्रेस और देश दोनो को कुछ समय के लिए  राहुल गांधी से निजात मिल गई है। कुछ कार्यकर्ताओं को छोड़ कर पूरी पार्टी अंदर ही अंदर खुश है। यह दीगर है की कोई भी बड़ा नेता इस ख़ुशी को ज़ाहिर नहीं कर पा रहा है।

पप्पू भाईसाब के छुट्टी पर जाने से इतना हाहाकार मचा हुआ है की पूछो ही मत। जैसे शक्तिमान गायब हो गया हो और अब संकट यह है की बच्चो को किल्विश के चंगुल से कौन छुड़ाएगा ?
पप्पू यहाँ रहता भी तो भी कौनसा पत्थर को तराश के हीरा बना रहा था बल्कि उसके जाने के बाद तो शेयर मार्किट उछाल मार रहा है। अब जो होना था वो तो हो गया, किन्तु दुनिया के ४ महान लोग ४ महान बातें तो करते ही है उन्हें कोई माई का लाल नहीं रोक सकता। हमने भी अपने सूत्रों को चारो और भेजा और कम से कम ४ लोगो से राहुल के गायब होने के सस्पेंस के बारे में जानने को कहा। और जिन चार लोगो ने ४ बातें बतायी वो बेहद चौकाने वाली थी। लीजिये आप भी पढ़िए।

१. दिग्विजय सिंह के हिसाब से राहुल गांधी के गायब होने के पीछे आरएसएस का हाथ है। थोड़ा और ज्यादा पूछने पर उन्होंने बताया की राहुल गांधी को कुछ दिनों से खाकी चड्डी पहनने का शौक चढ़ा था जो दिग्विजय सिंह ने खुद देखी थी उनके पायजामे के भीतर। (कब, कैसे और  किन परिस्थितियों में ? इन सबका जवाब वो देने से कतरा गए ). हालांकि उन्होंने ज़ोर देकर कहा की राहुल गांधी का ब्रेन वाश करके उसको RSS वालो ने अपने किसी कैंप में छुपा रखा है।

२. RSS के ऊपर लगे इल्जाम को लेकर हम मोहन भागवत के पास पहुंचे। उन्हें हमने बताया की दिग्गिराजा का क्या कहना है। उन्होंने साफ़ कहा की हमें कोई ऐतराज नहीं है अगर पप्पू RSS ज्वाइन करे।भागवत ने दावा की की उसने RSS की जगह ISIS ज्वाइन कर लिया है अब इसमें हम क्या करे। हम तो उसकी तुरंत "घर वापसी" करवा दे बशर्ते दिग्विजय सिंह उम्र भर के लिए मौन व्रत धारण करे फिजिकली और डिजिटली दोनों।

ऐसा होना तो संभव नहीं है की दिग्गी मौन रख के बैठ जाये तो मतलब RSS वाले तो राहुल की घर वापसी न करवा पाएंगे। फिर हमारे सूत्र पहुंचे सोनिया गांधी के पास।

३. राहुल गांधी के गायब होने के पीछे जितना अच्छी तरह से सोनिया गांधी को पता होगा उतना शायद किसी को नहीं। हमारे सूत्रों ने सोनिया जी से भी जानने की कोशिश की तो उन्होंने एक कहानी सुनायी जो उन्ही के शब्दों में प्रस्तुत है: " मैं पिछले साल अपने हाथो से सरकार चले जाने से दुखी थी और रो रही थी, तभी राहुल ने पूछा की क्यों रो रही हो ? मैंने उसे समझाया की जब कोई चीज अपने पास रहती है तब हमें उसकी अहमियत पता नहीं पड़ती, जब वो अपने हाथो से निकल जाती है तो पता पड़ता है की कितनी जरूरी चीज थी। "
सोनिया जी के हिसाब से यही बात राहुल गांधी ने बड़ी सीरियसली ले ली और खुद की अहमियत बताने के लिए वो थोड़े दिनों के लिए सबसे दूर चला गया है। ताकि हमें और पार्टी के लोगो को उसकी अहमियत का अहसास हो।


वैसे राहुल गांधी के पिता कहा करते थे की हमारे राज में जब हम १ रूपया देते है तो वो आप तक पहुँचते पहुँचते १५ पैसे हो जाता है। यह बात राजीव जी ने यूँही नहीं कह दी थी इसके लिए प्रेरणा स्त्रोत उनका अपना बेटा था। घर का कोई भी सदस्य या शिक्षक जब भी राहुल गांधी को कोई बात कहता तो उसका १५% ही राहुल को समझ आता था बाकी सब बेकार जाता था । बचपन से ही राहुल ऐसे है और कांग्रेस ने जनता को शुरू से राहुल ही बनाया है। ऐसा हमारा कहना नहीं है यह बात बताई है उनकी सगी बहन प्रियंका ने जब हमने उनसे राहुल के गायब होने के बारे में पूछा।

४. प्रियंका गांधी ने बताया की राहुल गांधी को एक बार उन्होंने कहा की तू कैजरीवाल से कुछ सिख, आम आदमी की तरह रहा कर तो राहुल ने काउंटर क्वेश्चन किया की कैसे ? कोई उदाहरण दीजिये। तब प्रियंका ने कहा की जैसे तू वेकेशन पर जाता है तो बजट होलिडे लिया कर। सस्ता होता है और आम आदमी की तरह लगता है। बस इसी बात को गंभीरता से लेते हुए राहुल ने बजट के दौरान वेकेशन ले लिया।

इन ४ लोगो की ४ बातों के अलावा हमने सभी ४ लोगो की खबर रखने वाले कुछ पत्रकारों से भी चर्चा की तो उन्होंने जो थ्योरी हमे बताई वो सुन कर तो लगने लगा है की कलयुग का अंतिम चरण शुरू होने को है और जल्द ही प्रलय आने वाला है।

सुनिए पत्रकारों का क्या कहना है : उनके हिसाब से एक थ्योरी तो यह भी है की जिस दिन से राखी सांवत ने AIB रोस्ट वाला अपना बयान दिया की करन जौहर और रणवीर सिंह की आवाज़ डब करके गालियां निकाली गयी है तब से वो और राहुल गांधी एक साथ गायब है।आशंका यह भी जताई जा रही है की दोनो ने भाग के शादी करने का फैसला कर लिया है और इस समय यूगांडा के किसी गांव में वहां के गरीबो की एक बस्ती में अपना हनीमून मना रहे है।

खैर सच्चाई जो भी हो फिलहाल सोनिया गांधी और कांग्रेस के लिए बड़ी राहत की बात है और मीडिया को कुछ और दिनों का मसाला मिल गया है। वहीं कांग्रेस के कुछ युवा कार्यकरता अपने युवा ह्रदय सम्राट के गायब होने का दुःख भी मना रहे है। आपको भी अगर पप्पू की कोई खबर मिले तो जरूर बताईयेगा।



Friday 20 February 2015

विरोध करो

हमारे देश में ३ विशेष प्रकार के लोग आपको ज़रूर मिलेंगे, एक जो आपकी किसी भी बात पर "हाँजी" की मुंडी हिलाएंगे, दूसरे वो जो आपको हर मोड़ पर, हर कदम पर "राय" देते मिलेंगे और तीसरे वो जो आपकी हर बात का "विरोध" करेंगे। ताज़ा सर्वे के आंकड़े बताते है की तीसरे टाइप के याने की विरोधी स्वाभाव के लोग दिन ब दिन बढ़ते ही जा रहे है।

हर जगह हर कोई किसी न किसी बात का विरोध कर रहा है, विधानसभाओ में विपक्षी दल सत्तारूढ़ दल का विरोध कर रहे है, पत्नियां पतियों का विरोध कर रही है, पप्पू अपनी मम्मी का विरोध कर रहा है , मम्मी मोदी का विरोध कर रही है , सेंसर बोर्ड गालियों का विरोध कर रहा है  और हम अपने सारे विरोध गालियां निकाल के कर रहे है।

अभी अभी वेलेंटाईन डे बीता, हर साल की तरह इस साल भी बहुत दिलजलों ने इसका विरोध किया। शादी से पहले हमने भी गर्लफ्रेंड बनाने की कोशिश की तो हमारे घरवालो ने विरोध किया और शादी के बाद कोशिश की तो घरवाली ने विरोध किया तो तैश में आकर हमने भी इस वेलेंटाईन डे का विरोध कर डाला।

खैर अगर इतिहास खंगाले तो विरोध करना भारतियों के स्वाभाव में था ही नहीं, किन्तु जब से गांधी जी ने अवज्ञा आंदोलन का पाठ पढ़ाया और उस पाठ को हमने इतिहास की किताबो में रटा तब से हमे विरोध करने की आदत सी हो गयी है। यह बात और है की हमारा विरोध कहीं नोटिस नहीं होता न ही उस चीज से बच पाते है जिसका विरोध हम करते है।

मसलन स्कूल न जाने का , सुबह जल्दी न उठने का , होमवर्क न करने का , खेलने न जाने देने का , बर्फ का गोला न खाने देने का और कद्दू, करेले, बैगन, मेथी, पालक, मूंग दाल का विरोध तो आपको याद ही होगा जो बचपन में बहुत किया। टाँगे पटक पटक के किया, मूह फाड़ के, दहाड़े मार के और जमीन पर लेट के किया, किन्तु इतना विरोध करने से आखिर मिला क्या ? कुछ नहीं।

इससे तो अच्छा होता की हमारी माँ ने ही बाबूजी का कुछ विरोध किया होता, तो कम से कम हम इस निर्दयी दुनिया में आने से तो बच जाते।  बचपन में कुचले गए हमारे विरोध की खुन्नस हम उम्रभर किसी न किसी तरह का विरोध करके निकालते रहते है।

आज की दुनिया में तो आलम यह है की अगर सारी दुनिया किसी चीज का विरोध कर रही है और आप कुछ नहीं कर या कह रहे तो आप एक नंबर के चु**ये करार दिए जायेंगे। आजकल अपना विरोध दर्ज करवाने के लिए आपको किसी अनशन पर थोड़े ही बैठना है न ही पुलिस के डंडे खाने है। सोशल मिडिया का ज़माना है भई और इस ज़माने में विरोध करना कितना आसान है, जिस किसी ने भी विरोधी स्वाभाव की पोस्ट डाली हो  उसपे जाके बस एक "Like" बटन ही तो दबाना है, या किसी की पोस्ट अच्छी न लगे तो उसको थोड़ा गरिया दो याने गालियां पटक दो बस हो गया विरोध और आप बन गए इंटरनेट के "Intellectual" प्राणी। कुछ ज्यादा तूफ़ानी करना हो तो उस पोस्ट की अपने निहायती घने नेटवर्क(फेसबुक, व्हाट्सप्प, ट्विटर) में आग की तरह फैला दीजिये। और ऐसा करके आपने अपने हिस्से की समाज सेवा कर ली मानो।

अब अगर राजनीती की बात करे तो विपक्ष में बैठी पार्टियों का भी तो एक ही काम है , विरोध करो। कुछ भी हो जाये बस सरकार के कामो का विरोध करो। सरकार ने गरीबो के लिए बैंक खाते खुलवाये, विरोध करो, सरकार ने उद्यमियों की सुविधा के लिए कदम उठाये, विरोध करो, बस किसी न किसी तरह विरोध करो। जब कांग्रेस की सरकार ने परिवार नियोजन लागू किया तब लालू विपक्ष में थे उन्होंने इस योजना का विरोध किया, परिणामस्वरूप दर्जन भर बच्चे पैदा कर डाले।  अभी हमारी कांग्रेस पार्टी ने तो आतंकवादियों के इरादो पर पानी फेरने वाले सुरक्षाकर्मियों का ही विरोध कर दिया। अब तो हालत यह है की विपक्षी पार्टियों के अंदर ही एक दूसरे का विरोध शुरू हो गया है।ताजा हाल यह है की बिहार में एक ही दल के २ मुख्यमंत्री एक दूसरे के विरोध में खड़े है।

परन्तु असल बात तो यही है की जिसका जितना ज्यादा विरोध वो चीज उतनी तेज़ी से फैलती है , उदाहरण देखिये। बचपन में होमवर्क का विरोध किया तो वो बढ़ गया, खेल और टीवी पर पाबन्दी का विरोध किया तो १० और चीजो पर पाबन्दी लग गयी। आज की बात करे तो मोदी जी का १० सालो तक भयानक विरोध किया गया, किन्तु फल क्या निकला ?वो उतनी ही प्रचंडता से सरकार में आये। इधर दिल्ली में मोदी ने केजरीवाल का विरोध करने में पूरी ताकत झोंक डाली, और इस विरोध का परिणाम क्या निकला वो तो आप जानते है। आतंकवाद का विरोध पूरी दुनिया सालो से करती आ रही है, किन्तु क्या हुआ? रुकने की बजाये यह तेज़ी से विश्व के हर देश में फैलता जा रहा है। स्वास्थ्य की बात करे तो हम लोग एबोला और स्वाईन फ्लू का कितना विरोध कर रहे है फिर भी रुकने का नाम ही नहीं ले रहा। और सबसे बड़ा उदहारण फिल्म PK, कितना विरोध हुआ इस फिल्म का, किन्तु सबसे ज्यादा कमाई भी इसी फिल्म ने की।

इतने सरे उदाहरणों से कुछ समझे आप ? मतलब ये है की जिस चीज का जितना तगड़ा विरोध करो वो उतनी ही तेज़ी से फैलती है, सीधे सीधे न्यूटन महाराज का तीसरा नियम लागू हो रहा है।

तो अब ध्यान रखे, जब भी पेट्रोल के दाम घटे तब आप विरोध करे, जब भी अर्थव्यवस्था सुधार की बात हो आप विरोध करे, जब भी सेंसेक्स ऊपर चढ़ता दिखे तुरंत उसका विरोध शुरू करे, सफाई अभियान का विरोध करे, स्वाईन फ्लू और अन्य बीमारी से बचने के लिए जो निर्देश दिए है उनका विरोध करे, यहाँ तक की अगर कोई सरकारी कर्मचारी रिश्वत न ले तो उसका भी विरोध करे, फिर देखिये कैसे हमारा देश तरक्की करता है।

मैंने तो सरकार को चिट्ठी लिख के अपना यह प्रस्ताव भी भेजा है की सरकार अपने ख़ुफ़िया सोशल नेटवर्किंग डिपार्टमेंट को ही यह काम सौंप दे, विरोध करने का, बाकी हम "लाइक और शेयर" के बटन तो दबा ही देंगे।

तो कुल मिलाकर मन की शांति और देश की तरक्की के लिए विरोध करते रहिये। हम पैदा ही विरोध करने और सहने के लिए हुए है।




Friday 12 December 2014

कांग्रेस मुक्त भारत




अभी अभी कुछ दिनों पहले सुनने में आया था की हैदराबाद के हवाई अड्डे  का नाम "राजीव गांधी हवाई अड्डे "  से बदल कर N.T.रामाराव  हवाई अड्डा रख दिया गया है। खबर सुनकर राजनितिक गलियारों में हड़कम्प मच गया था , खासकर कोंग्रेसियों के तो पेट ज्यादा खराब हो गए। वैसे भी कोंग्रेसियों के पास है ही क्या "इन ३ नाम" के अलावा ?

खैर जब इस खबर को खंगाला गया तो मेरे ख़ुफ़िया सूत्रों ने जो बात बताई वो बड़ी ही चौंकाने वाली है, हाँ आप भी चौंक जाओगे , दर-असल हवाई अड्डे का नाम बदलने के पीछे मोदी जी का हाथ है , जी हाँ भाई साब पुख्ता खबर है।  कुछ महीनो पहले के उनके भाषणो को याद करो तो आपको याद आएगा की मोदी जी ने हर जगह लगभग हर दिन एक नारा जोर जोर से लगाया था और वो था "कांग्रेस मुक्त भारत" का नारा।

आदरणीय केजरीवाल जी ने भी अपनी मुहर लगा दी है  इन सब के पीछे मोदी जी और अडानी /अम्बानी का हाथ है , एक गजेटेड ऑफिसर के द्वारा अटेस्टेड होने पर यह खबर और भी पुख्ता बन गयी है।

अब देश में कांग्रेस के पास ले देकर पूर्वजो (जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, राजीव गांधी) के नाम के अलावा कुछ बचा नहीं , और अगर कांग्रेस को जिन्दा रखना है तो इन नामो को जिन्दा रखना होगा, इसीलिए सोच समझ कर पिछली कांग्रेस सरकारों ने देश में ४५० से ज्यादा सरकारी योजनाओ,  भवनो, सडको , विश्वविद्यालयों इत्यादि के नाम इन तीन लोगो के नाम पर ही रखे है , ताकि इनके नाम पर ही सही लोग कांग्रेस को "कुछ अच्छे" के लिए याद रख सके।

Pic Courtesy  A Suryaprakash


किन्तु मोदी जी ने तो देश को कांग्रेस मुक्त करने की मानो शपथ सी ले रखी है। इसीलिए यह शुरुआत है की सबसे पहले सरकारी योजनाओ को गांधी-नेहरू परिवार के नाम से मुक्त किया जाये, फिर धीरे धीरे एयरपोर्ट, पोर्ट , स्टेडियम, सड़क, चौराहो और विश्विद्यालयों के नाम से नेहरू-गांधी हटाया जायेगा।

हैदराबाद में एयरपोर्ट का नाम बदल के कुछ हद तक कांग्रेस मुक्त भारत की और एक कदम उठा लिया है मोदी सरकार ने।  हमारे ख़ुफ़िया सूत्रों ने तो यहाँ तक खबर दी है की जल्द ही सरकार एक विधेयक लाने  वाली है जिसके तहत देश में जिसका भी नाम राजीव, राहुल, सोनिया, प्रियंका या रॉबर्ट (वैसे भी आजकल जवाहर, और इंदिरा नाम कोई नहीं रखता) होगा उसको सरकारी सुविधाओं से वंचित रखा जायेगा, उन्हें अपना नाम बदलना होगा। यही नहीं किसी ने अपने बच्चे का नाम इनमे से कुछ रखा तो उसे जन्म प्रमाण पत्र, आधार कार्ड, पैन कार्ड, या पासपोर्ट जारी नहीं किया जायेगा।  यह सब महत्त्वाकांक्षी योजनाएं अभी मोदी सरकार के मंत्रीगण  बना रहे है और जल्द ही इन्हे मोदी जी के समक्ष प्रस्तुत करके वाह वाही लूटने की तैयारी में है।

तो दोस्तों तैयार हो जाओ कांग्रेस मुक्त भारत के लिए।  अरे अरे.…………  अभी अभी एक और ख़ुफ़िया खबर आयी है की दिग्विजय सिंह ने राहुल गांधी को सुझाओ दिया है की वो "गांधी" सरनेम का पेटेंट कांग्रेस के नाम पे रजिस्टर करवा के कॉपी राइट लेले ताकि कोई और इसका फायदा न उठा सके।  सुना है की राहुल बाबा ने बात को मानते हुए अर्ज़ी दे दी है।  अगर ऐसा हो जाता है तो गांधी सरनेम वाले सभी लोग कांग्रेस की अधिसंपत्ति माने जायेंगे, .......ओह्ह्ह ...... फिर मेनका और वरुण का क्या होगा ?

खैर जो भी हो आप हमारे साथ लगातार लगातार बने रहिये, आपको लेटेस्ट अपडेट के साथ सरकार के अंदर की खबर देने फिर आएंगे, तब तक के लिए गुड नाईट।

डिस्क्लेमर: उपरोक्त लेख लिखते समय लेखक ने ४ बोतल वोडका अपने गले में उँडेली हुयी थी और उसकी टेबल पर ४ रैपर भांग की गोली के भी पाये गए थे। और जब तक मैंने यह लेख ब्लॉग पर डाला तब तक भी लेखक को होश नहीं आया था।




Thursday 16 January 2014

२०१४ का महाभारत

हम बड़े ही सहज रूप से कह सकते है कि २०१४ का चुनाव अब "बीजेपी" और "आप" के बीच ही लड़ा जायेगा (या यु कहे मोदी और केजरीवाल के बीच लड़ा जायेगा)

कॉंग्रेस ( राहुल गाँधी ) कि तो कोई बात ही नहीं कि जा सकती यहाँ,  क्रिकेट कि भाषा में बात करे तो यह वो त्रिकोणीय मुक़ाबला है जिसमे तीसरी टीम (टीम  RaGa ) नामीबिया कि है। या बॉलीवूड कि भाषा में बात करे तो ३ फिल्मो के बिच मुक़ाबला है जिनके मुख्य किरदार क्रमशः  शाहरुख़ खान, सलमान खान और उदय चोपड़ा है।

अब अगर इसे सीधा मुकाबला मोदी V /S  केजरीवाल माने तो यहाँ यह देखना भी जरूरी है कि आखिर इन दोनों में तुलना किन बिन्दुओ पर हो ?

  1. सुढृढ़ सुशासन या दिखावटीपन (चुहलबाजी)
  2. परिणामकारी प्रदर्शन या आंदोलन 
  3. विकास के मुद्दे या व्यक्तिगत मान से जुड़े इरादे 
  4. एक स्थापित विचारधारा या आदर्शवाद 
  5. देश कि अखंडता या अलगाववादियों का समर्थन 
  6. सम्पूर्ण विकास या किसी समुदाय विशेष का तुष्टिकरण
  7. एक सिद्ध अनुभव या अतिउत्साही और अवसरवादी लोगो का समूह 
  8.  देश को विकास कि  दिशा प्रदान करना या देश के साथ एक प्रयोग करना 
यह एक बहुत अच्छी बात है कि आप पहली बार चुनाव लड़े और लोगो कि भावनाओ के साथ जुड़कर उनके दिल और कुछ सीटे जीत ले और जिनका उम्रभर से विरोध करते आये उन्ही का थोडा सा साथ लेकर सत्ता में भी आ जाये।
परन्तु  एक तरफ वो है जो लोगो कि भावनाओ के दम पर पहली बार जीत के आये  और सत्ता में बने रहने के लिए संघर्ष कर रहे है वोही दूसरी  और वो है जो  समग्र विरोध को झेलने के बावज़ूद लगातार तीन बार जीत कर आये, लोगो कि भावनाओ के दम पर नहीं, अपने शक्तिशाली प्रदर्शन के दम पर.। 

महत्वकांक्षी  होना  अच्छी बात है परन्तु  जो चीज हाथ में है, जिसके लिए आपको मौका दिया गया है (दिल्ली ), उसके बारे में सोचने के बजाय आप क्या कर रहे है ,  खूद को देश की  हर समस्या का समाधान बता कर  मैदान में कूद कर स्थापित लोगो को चुनौती दे रहे है जबकि आपको यह  तक नहीं पता कि आपका कौन नेता देश के किस मुद्दे पर क्या अनर्गल बाते कर रहा है। 
 जब आपको एक राज्य का दायित्व दिया गया है तो उसी को राजधर्म कि तरह निभाईये, झोंक दीजिये अपनी सारी शक्ति यह साबित करने में कि आपको दिया गया मौका व्यर्थ नहीं है। 

दूसरी और मोदी के बारे में  यह कैसा झूठा डर  फैलाया जा रहा है कि अगर मोदी कि सरकार बनी तो देश में अल्पसंख्यक असुरक्षित  हो जायेंगे, मानो अचानक ही  यह पूरा जनतंत्र  तानाशाही में बदल जायेगा और सारी  विपक्षी पार्टियाँ, सहयोगी दल , राज्य सरकारे और न्यायपालिका रातोरात इस "सबका मालिक एक " वाली सरकार के सामने नतमस्तक हो जाएँगी ?
यह तो सीधा सीधा उन लोगो के द्वारा किया गया दुष्प्रचार या प्रपंच है को वाकई में मोदी को सत्ता  में आने से रोकना चाहते है , यह लोग सिर्फ नफरत कि राजनीति जानते है प्रेम कि नहीं।

वैसे कविराज जो कि अब नेता जी बन गए है कि एक काव्य गोष्ठी में मेने उन्ही के मुख कमल से एक कविता सुनी थी जो कुछ  यों  थी_ _ _

हमे मुहब्बत सब से है हमे फूलो को छांटना नहीं आता
हम तो जोड़ना जानते है बस हमें काटना नहीं आता
हम क्या करे हमे खुशियों के सिवा कुछ बाँटना नहीं आता

अभी यह सब बाते शायद उनके लिए सिर्फ कल्पनाओ और शब्दो का एक जाल मात्र हो सकती है जिसका हकीकत से कोई लेना देना न हो शायद।

खैर छोड़िये 

केजरीवाल (और AAP ) कि तुलना मोदी (और NDA ) से करना किसी कल ही कॉलेज से पास हो कर नए आये कर्मचारी कि  किसी उच्च प्रबंधक जो कि बरसो से कंपनी और अपने विभाग कि सेवा करके उस पद तक पंहुचा है से तुलना करने के बराबर है। 

क्या कोई भी कंपनी कल के पास हुए छात्र को अपने उच्च प्रबंधन का दायित्व सोंप सकती है ?
खुद ही विचार कीजियेगा। 

--------------------------------------------फेसबुक पर एक पेज "भक साला " में  प्रकाशित हुये एक अंग्रेजी लेख़ से साभार  

Monday 30 December 2013

Kejriwal and Karna


Now-a-days everyone is talking about Mahabharat, be it the animation movie where big stars have landed their voice or the Television Series or the current political scenario in India

So I thought I should write something about it. You might have already flooded with various comparisons of today’s political set-up with mythological stories, but I can not stop myself.You may not be a fan of mythological writings or the stories, but you must have heard the name Karna or Karan.

Karna, a Mythological character from Mahabharata, is a well praised character, a great warrior, large hearted, hard worker, generous, and above all a fighter and self made leader. Any positive adjective I use here will be less for him and all this written in the classic book.  Having all said about Karna, he is not considered by people as a deity or someone who can be kept in the good books.

He was a son of the god Sun by kunti, but brought up by a charioteer and was always called a saarthi – putra or Soot-putra. According to the “Varna-vyavastha” he could not be a disciple of Gurus like Dronacharya and Parashurama, he could not get learning and teaching of astras(Weapons) and shaastra(Rules of life).


 He hated the system and rebelled against it. Karna became pupil of Guru Parashurama on a false note that he is a Brahmin. And as people say that a lie has no feet, so karna couldn’t go long with that lie and became victim of curse from his contemporary Guru Parshuram.Karna was good at heart, his intentions were good and he was skilled but just because he did not belong to a particular Varna(Caste), he could not hone his skills with the dignity as Khatriyas and Brahmins could afford.  He nourished a kind of hatred in his heart for this system and wanted to change it, and wanted to get the power, wanted to become a king.To douse his burning desires, to get the Kingdome, to fulfill his long term aspirations he joined hands with Kouravas (the 100 bad brothers or better the main villains of Mahabharat).

Finally in the climax his life was ended like a villain and not like a hero. He was killed by Arjuna.
He had to suffer a lot because of his 2 big mistakes, first, to betray a Guru like Parashuram and second, joining hands with most lawless, corrupt and hypocrite people like Kauravas.


The title of this article is Kejriwal and Karna, and I have written all about Karna, you might be thinking that when I would introduce our today’s hero Kejriwal? So my dear readers, that’s all, now I don’t need to write anything about Kejriwal. At the end of this article I will rename Kejriwal as today’s Karna who joined hands with today’s Kauravas.Rest you think, and relate the populist with the Karna's Story.


Note: All AAP and AK lovers, please excuse!

Image courtesy: Google.

Thursday 21 November 2013

प्रधानमंत्री का विदाई भाषण (Farewell speech of PM)


प्रस्तुत लेख एक कल्पना  मात्र है, यहाँ उपयोग किये गए नाम वास्तविक लग सकते है परन्तु वह एक संयोग मात्र होगा। इस लेख का प्रयोजन सिर्फ अपने पाठको का मनोरंजन करना है न कि किसी कि भावनाओ को आहात करना, फिर भी अगर किसी विशेष राजनितिक दल कि भावनाओ को ठेस पहुचती है तो इसके लिए वो खुद और इस लेख में आये हुए नाम जिम्मेदार है।

दिन : १ जून २०१४
स्थान: राम लीला मैदान, दिल्ली
घटना: श्रीमान मन्नू भाई जी कि देश के P.M पद से विदाई
कारन: श्रीमान नमो भाई जी कि देश के P.M पद कि शपथ


आज नमो देश के प्रधानमंत्री पद कि शपथ राम-लीला मैदान में लाखो लोगो कि मौजूदगी में लेने जा रहे है, परन्तु उससे पहले एक विशेष घटना घटित होने को है, जिसके लिए देश  १० सालो तक तरसता रहा, वो होने जा रहा है, आज मन्नू जी कुछ "कहने " जा रहे है।

जी हाँ , मन्नू जी ने नमो जी से आग्रह किया कि वो भी सचिन तेंदुलकर कि तरह एक विदाई भाषण देना चाहते है, परन्तु वानखेड़े स्टेडियम कि तरह लाखो लोग जुटा पाना मुश्किल है इस लिए वो नमो जी के शपथ ग्रहण समारोह में अपनी स्पीच देना चाहते है और जैसा नमो जी ने यह आग्रह स्वीकार किया और आज मन्नू जी को "बोलने " का मौका देते हुए "इंक्लूसिव पॉलिटिक्स " का उदहारण प्रस्तुत किया।

जैसे ही मन्नू जी अपने दोनों हाथ अपनी जैकेट कि पॉकेट में डाल के, इठलाती हुयी अपनी "मनमोहक" चाल में चलते हुए  मंच पे आके पोडियम पर खड़े हुए वैसे ही सारी जनता हल्ला मचाने लगी, मन्नू जी ने धीरे से माइक के करीब जाके कहना आरम्भ किया। ....

दोस्तों----- बैठ जाईये _ _ _ _ कृपया करके शांत हो जाईये _ _ _ फिर भी जनता चुप नहीं हुयी,

तभी मन्नू जी ने मीरा कुमारी जी कि तरफ देखा, वो तुरंत दौड़ती हुयी माइक पे आयी और बोली, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, शांत हो जाईये, बैठ जाईये, मन्नू जी को सुनिये - _ _ _ और मन्नू जी को माइक देते हुए वो वापस लौट गयी।

मन्नू जी ने फिर कोशिश कि, देखिये आप शांति से नहीं बैठेंगे तो में आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ _

"आज भी कुछ नहीं बोलूंगा _ _ " यह सुन के पुरे मैदान में सन्नाटा पसर गया.

मन्नू जी ने शुरू किया_ _ _ _ _ _ _
"मेरी जिंदगी के १० साल,  ७ रेस कोर्स रोड से १० जनपथ  के बिच कि भाग दौड़ में कब बीत गए पता ही नहीं  चला, आज मेरी उसी जिंदगी का आखिरी दिन है, मेरी इस जिंदगी को यादगार बनाने में बहुत लोगो का योगदान रहा है में सभी का शुक्रिया करना चाहता हूँ" फिर मन्नू जी ने अपनी पॉकेट से एक हाथ निकालते हुए रूमाल से अपनी नाक साफ कि और फिर कहना शुरू किया_ _ _ _

"सबसे पहले तो में शुक्रिया करना चाहता हूँ नमो जी का _ _ _तभी अचानक लोगो ने चिल्लाना शुरू किया  मोअअअ दी _ _ _ मोअअअ दी___मोअअअ दी_ _ अबकी बार नमो जी ने जनता को कहा " मित्रो शांत हो जाईये " और जनता चुप हो गयी.

मन्नू जी ने एक बार फिर आरम्भ किया, "नमो जी कि वजह से आज मुझे बोलने का मौका मिला है , आज मुझे अपनी विदाई का भाषण देने का मौका मिला है, नमो जे कि वजह से मुझे अब बुढ़ापे में आराम करने का मौका मिला है।

में मैडम जी का भी शुक्रगुजार हूँ कि आज उनके मार्गदर्शन में काम करने कि वजह से मुझे P.M. पद से विदाई मिल रही है, मैडम जी कि वजह से ही में आज इतना फिट हूँ क्योंकि मुझे रोजाना ७ रेस कोर्स से भाग के १० जनपथ कई बार आना पड़ता था.
यकीन ही नहीं आता कि आज से मेरी जिंदगी में केवल एक मैडमजी रह गयी है_ _  मेरी पत्नी।

में शुक्रगुजार हूँ अपने मंत्रिमंडल का जिनकी करतूतो कि वजह से आज मुझे "चोर" जैसे सम्मानो से नवाज़ा जाता है.
में तहे दिल से धन्यवाद देना चाहता हूँ अपनी भारत माता का जिसने मेरी हर शैतानी को नजरअंदाज किया, मेरे हर घोटालो को सहा, मेरे लिए कई टैक्स पेयर्स ने बड़े बड़े बलिदान दिए उनका भी शुक्रिया।

राउल बाबा_ _ _ अब उनके बारे में क्या कहु ? इस नौजवान लडके ने मेरे लिए अपनी पूरी जवानी दांव पे लगा दी, अपनी पढ़ाई लिखाई छोड़ के हमारी सरकार के चर्चे देश के कोने कोने में करवाये, यहाँ तक कि ४४ साल कि उम्र में भी अपना "भोलापन" खोने नहीं दिया।

में धन्यवाद करना चाहता हूँ मनीष,  कपिल,दिग्गी, शीला, खुर्शीद भाई और कलमाड़ी बाबू का जिनके कारनामो कि वजह से मेरा इतना नाम हुआ पुरे विश्व में कि में अपने दोनों हाथ कभी जेब से नहीं निकल पाया और अपना सर कभी ऊपर नहीं उठा पाया, बहुत बहुत शुक्रिया इनका कि आज मुझे "काम" (जो मेने कभी किया नहीं) से मुक्ति मिल रही है।

सीबीआई , जी हाँ में तहे दिल से शुक्रगुजार हूँ सीबीआई का जिन्होंने मुझे कठीन से कठीन परिस्थितियों में भी महफूज़ रखा.

मेरा राजनितिक कैरियर १९९१ में शुरू हुआ, परन्तु मेरे नाम और शोहरत के पीछे  टर्निंग पॉइंट था २००४ में  मैडम जी का P.M न बनना और मुझे इस पद के लिए आगे करना। बस तभी से मेरे जीवन के गौरव शाली क्षणों कि शुरुआत हुयी और आज में इस मकाम पर पंहुचा हूँ।
मैडम जी आज भी मुझे रोज फ़ोन करती है और हर घोटाले के बारे में मुझे "मौन" रहने कि सलाह देती है।


मेने पार्टी और मैडमजी के लिए बहुत कुछ किया अब में देश के लिए कुछ करना चाहता हूँ इसीलिए अपना पद त्याग कर विदाई चाहता हूँ।

में आभारी हूँ मिडीया का जिसने मेरे कुछ कारनामो को दबाया और कुछ कारनामो को बढ़ा चढ़ा कर दिखाया और मुझे इंटरनेशनल हीरो बनाया।


यह पल मेरे लिए बहुत भाव-विभोर कर देने वाले पल है, में जानता हूँ कि मेरा भाषण थोडा लम्बा हो रहा है परन्तु विश्वास कीजिये _ _ _ मेने कभी इतने सारे लोगो के सामने इतनी देर तक नहीं बोला_ _  आज आप लोगो ने मुझे सुन कर इमोशनल कर दिया है। में आप सब लोगो का भी आभारी रहूँगा जिन्होंने नमो जी को वोट देकर मुझे पदमुक्त करने में अहम् भूमिका निभायी है। आप लोग दूर दूर से यहाँ नमो जी कि शपथ ग्रहण रैली में आये है और मुझे सुन रहे है , धन्यवाद।  आपलोगो कि यादें मेरे ज़ेहन में हमेशा ताज़ी रहेंगी खास कर के  चोर _ _ चोर _ _ 2G , 3G , कोयला, CWG  यह सारे शब्द मेरे कानो में  मरते दम तक गूंजते रहेंगे।

बस इन्ही शब्दो के साथ में विदाई चाहता हूँ , ठीक है।  गुडबाय। ………






-कार्टून : इंटरनेट पर मौजूद आर्टिस्ट्स के सौजन्य से


Friday 4 October 2013

रॉयल्टी और राष्ट्रपिता


मित्रो अभी कुछ दीनो पहले खबरें आई थी की जानेमाने लेखक/ गीतकार सलीम साहेब और जावेद अख़्तर ने किसी  फिल्म के निर्माताओ पर मुक़दमा ठोका था की इन्हे कोई लगभग 7 करोड़ रुपये रायल्टी के तौर पर मिलना चाहिए क्योंकि फिल्म तो असलियत मे इन्ही के द्वारा लिखी गयी थी.. ऐसे ही संगीत, साहित्य और कला के क्षेत्र में भी रॉयल्टी का बड़ा महत्व है। 

आखीर यह रायल्टी भी कितने कमाल की चीज़ है, काम आप आज जवानी मे करके जाओ और सठियाने की उमर मे मुनाफ़ा कमाओ और तो और मरने के बाद आपकी पीढ़ियाँ आपके नाम का माल खाएगी| उदाहरण के रूप मे अगर देखे तो अमित कुमार जो की मशहूर गायक अभिनेता  किशोर कुमार के सुपुत्र है, यूँ तो उन्होने कोई ज़्यादा काम नही किया है परंतु आज भी पिताजी के गाए हुए गानो की बदौलत अच्छी ख़ासी रायल्टी कमा रहे है, इतना ही नही आपने थोड़ा बहुत अच्छा काम करके थोड़ा नाम भी कमा लिया और आपकी संतान निकम्मी भी निकली तो भी कुछ ना कुछ तो कमा ही लेगी, उदाहरण अभिषेक बच्चन, उदय चोपड़ा, तुषार कपूर, इत्यादि |

अब इतनी बात चली ही है तो रायल्टी खाने के नाम पे देश मे नंबर 1 परिवार के बारे मे बिना कुछ बोले कैसे रहा जा सकता है, अब जब यह परिवार सत्ता के गलियारे से कोसो दूर है फिर भी हमारी जिह्वा पर इनका नाम तो आ ही जाता है , आपने अब तक अनुमान लगा ही लिया होगा में किसकी बात कर रहा हूँ , जी हाँ ठीक समझे, हमारा "गाँधी" परिवार, 
भाई यह परिवार तो रायल्टी के नाम पे ना जाने क्या क्या खा चूका इस देश मे और अब भी दबे छुपे खाए जा रहा है , 
खैर छोड़िये यहा में ज़्यादा भावुक नही होना चाहता हूँ|

 "गाँधी" और "रायल्टी" से याद आया की जैसे हम तमाम धार्मिक कथाओ, व्रत की कहानियों मे सुनते है की फलाँ फलाँ देवी या देवता ने स्वप्न मे आकर अपने भक्त को कुछ आदेश दिया और आदेश ना मानने के हाल मे उसका सारा राज चौपट होने की भी चेतवानी दी| आज में ईश्वर से यही प्रार्थना करना चाहूँगा की ऐसा ही कुछ आदेश हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गाँधी भी आज की सभी पार्टी के सभी नेताओ, मंत्रियों, प्रधानमंत्री, और सभी MPs तथा  MLAs (जीते हुए और हारे हुए )को भी स्वप्न मे आके दे |

इन सभी भ्रष्ट नेताओं को स्वप्न मे बापू आके कहे की आप लोग मेरी फोटो का उपयोग सालो से कर रहे हो, इसके एवज मे रायल्टी के नाम पे एक फूटी कौड़ी तक नही दी है आज तक तुमने, सबसे पहले तो मेरी फोटो मुझसे बगैर पूछे "रुपये"   के हर नोट पर छापी गयी फिर ऐसे लाखो करोड़ो के नोट तुम लोगो ने अपने जेबो मे भर लिए, फिर मेरे नाम का दुरुपयोग किया यह कह कर की गाँधी की "हरी पत्ती" के बगैर तुम कोई काम नही करोगे, मेरे नाम पर हर पार्टी के नेता ने वोट मांगे , इन सब बातो के लिए जुर्माना नही माँग रहा हूँ, में बस यह कहना चाहता हूँ की कॉपीराईट एक्ट के तहत मुझे इसकी रायल्टी मिलनी चाहिए और जैसा की इस देश मे होता आया है बाप के गुजर जाने के बाद रायल्टी उसकी संतान को मिलती है वैसे ही अब यह सारी रायल्टी की रकम तुम लोग पूरे देश मे बाँटोगे, क्योंकि क़ानूनन मे पूरे देश का बाप हूँ, में राष्ट्रपिता हूँ|




सोचिए अगर ऐसा हो जाए और यह लोग बापू की बात मान ले  और हर नोट पर छपी बापू की फोटो के लिए उस नोट की कीमत का २% भी रायल्टी के रूप मे देदे तो भी अपना देश तो सुखी हो जाए......

में तो हिसाब लगा रहा हूँ की मेरे हिस्से मे कितना आएगा, आप भी लगा लो |


--------------------------------------------------------------------------चित्र इंटरनेट के सौजन्य से

Thursday 12 September 2013

Future of India....भारत का भविष्य




दोस्तो आज कल जहा देखो वहाँ राजनैतिंक चर्चाएँ होती दिखाई दे रही है, हर कोई कॉंग्रेस, BJP की बातें करता मिलता है, लोगो को राजनीति मे इतनी रूचि पहले कभी नही हुई होगी जितनी अब हो रही है|
आजकल तो बच्चे भी चोर-पोलीस का खेल ना खेल के के कॉंग्रेस-बीजेपी का खेल खेलने लगे है.

अभी कुछ दीनो पहले मेरे 7 साल के भतीजे ने मुझ से पुछा की चाचा अगले साल चुनाव है और अगर फिर से कॉंग्रेस जीत गयी तो हमारा प्रधान मंत्री हमारे जैसा होगा, है ना? मेने पूछा बेटा वो कैसे? तुम्हारे जैसा कैसा होगा? तो वो तपाक से बोला की हमारी टीचर कहती है की अगर कॉंग्रेस जीती तो राहुल गाँधी हमारा प्रधानमंत्री होगा और वो बिल्कुल हमारे जैसा है, उसे भी पोगो चेनल पे छोटा भीम देखना अच्छा लगता है, वो उसकी मम्मी की आगे पीछे ही घूमता रहता है, मम्मी के मना करने पर भी बाहर दूसरे लोगो का दिया हुआ खाना खा लेता है, इसलिए वो हमारे जैसा ही हुआ ना…..??
 में क्या कहता, मेने कहा हाँ बेटा, वो तुम्हारे जैसा ही है|
अब उस नन्हे से बचे को कैसे कहे की वो तुमसे भी गया गुज़रा है….
परंतु इस बात ने मुझे यह सोचने पे विवश कर दिया की अगर सच मे अगली सरकार फिर से कॉंग्रेस की बन गयी ( जो की होना संभव है), और सच मे राहुल गाँधी प्रधानमंत्री बन गया तो देश का क्या द्रश्य होगा??



सबसे पहले तो जैसे माँ ने उसका सपना पूरा किया फुड सेक्यूरिटी बिल लाकर, वैसे बेटा अपना सपना पूरा करेगा एक बहुत ही महत्वाकांक्षी योजना, “वाइफ सेक्यूरिटी बिल” लाकर|
जी हाँ, देखिए अब यह लोग कहते है की देश मे 67 करोड़ जनता ऐसी है जिसे पेट भर खाना नही मिलता तो यह लोग फुड सेक्यूरिटी बिल ले आए, अब देश मे अगर लिंग अनुपात की चर्चा करे तो यह भी बहुत कम है 1000 पुरुषो पर 940 महिलाएँ, याने की  6% पुरुष बेचारे ऐसे है जो विदाउट वाइफ बिताते है अपनी लाइफ.
बेचारे राहुल गाँधी जैसे ही कितने पुरुष होंगे जो 40 की उमर पार कर गये परंतु अब तक वाइफ नही मिली, इसीलिए राहुल बाबा का सबसे बड़ा सपना ये ही है, संसद मे वाइफ सेक्यूरिटी बिल को कैसे भी करके पास करवाना, ताकि उनके जैसे कई पुरुष जो बगैर वाइफ के जीवन बसर कर रहे है उन्हे भी घर बसाने का मौका मिले.
अब आप पूछेंगे की  इस बिल को लागू( इंप्लिमेंट) कैसे करेंगे, तो मित्रो जैसे फुड सेक्यूरिटी बिल लागू होगा वैसे ही यह भी हो जाएगा.
ज़्यादा कुछ नही कर पाए तो वेट्रेस इम्पोर्ट करवा लेंगे इटली से…..


राहुल बाबा के दीमाग मे और भी काई योजनाएँ कुलबुला रही है जिन्हे वो जल्द से जल्द लागू करवाना चाहते है जैसे की:
१. दूरदर्शन को बंद कर के पोगो चैनल को राष्ट्रीय चैनल घोषित किया जाए|
२. कौन बनेगा करोड़पती मे सारे सवाल वही पूछे जाए जिनका जवाब राहुल बाबा को पता हो, मतलब KBC के प्रतियोगियों और MTV Roadies के प्रतियोगियों मे कोई अंतर नही रहेगा|
३.हमारे देश मे बिकने वाले सारे शब्दकोषों ( Dictionaries) से भ्रष्टाचार, ग़रीबी, अपराध, बलात्कार, आतंकवाद और काला पैसा जैसे शब्दो को हटाया जाएगा, और अगले 15 August के भाषण मे दावा किया जाएगा की हमने ऐसी तमाम चीज़ो को देश से हटा दिया है जो देश की तरक्की मे बाधक है|
४. पप्पू नाम के लोगो के लिए विशेष अवॉर्ड घोषित किए जाएँगे, अवॉर्ड लेने के लिए आपको अपनी कक्षा 5वीं की मारक्शीट दिखानी पड़ेगी जिसपे आपका नाम पप्पू अंकित होना चाहिए|
५. विशेष क़ानून बनाया जाएगा उन लोगो के लिए जो फ़ेसबुक पर पप्पू जोक्स शेर करते है|
६. राहुल बाबा को मोदी से बहुत डर लगता है, वो सोच रहे है की अगर प्रधानमंत्री बन गया तो सबसे पहले मोदी से कैसे निपटा जाए, उसके लिए मास्टर प्लान है राहुल के पास, वो गुजरात को एक अलग “देश” का दर्जा देने वाले है और फिर मोदी को इंडिया का वीज़ा नही देंगे, इससे कॉंग्रेस की 2 बड़ी समस्याएँ हल हो जाएगी, एक तो पाकिस्तान की आधी बॉर्डर गुजरात शेयर करेगा, और दूसरी बड़ी समस्या मोदी|
बहुत ही क्रांतिकारी सोच है भाई,.... नही?
७. पहली एप्रिल को विश्व पप्पू दिवस मनाया जाएगा|
१०. पप्पू भाई साब यह भी सोच रहे है की सारे उत्तर-पूर्वी राज्यो (नॉर्थ-ईस्ट स्टेट्स) को Join कर दिया जाए और एक संयुक्त राज्य बना दिया जाए , आप कहेंगे की कितना नेक ख़याल है बंदे का, पर इसके पीछे कारण यह है की इनको सारे स्टेट्स का नाम तक नही पता है, कोई पूछ ही ले तो क्या कहेंगे??

ऐसे ही और कई नेक ख़याल इनके दिल मे घर कर बैठे है जो यह देश के राजकुमार इस देश मे इंप्लिमेंट करना चाहते है…

कुछ आपको पता हो तो बताईए !!
...........................................................................................................................Image source: Internet

देश भक्ति

  देश भक्ति , यह वो हार्मोन है जो हम भारतियों की रगो में आम तौर पर स्वतंत्रता दिवस, गणतंत्र दिवस  या भारत पाकिस्तान के मैच वाले दिन ख...